tag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post4996448694615365700..comments2023-07-04T07:36:06.107-07:00Comments on कछु हमरी सुनि लीजै: आ गया ऊंट पहाड़ के नीचेडॉ. कमलकांत बुधकरhttp://www.blogger.com/profile/00688929888717058169noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post-38301073546413694402009-02-13T19:20:00.000-08:002009-02-13T19:20:00.000-08:00पोस्ट क्या है, पूरा इन्द्र धनुष है। कहीं जीवन द...पोस्ट क्या है, पूरा इन्द्र धनुष है। कहीं जीवन दर्श है तो कहीं तथ्यों की व्यंग्यात्म बौछार। 'दो बाप तो किसी के नहीं होते' जैसी लोकोक्ति का सुन्दर और धारदार उपयोग।<BR/>इसी तरह अपनी 'कछु' सुनाते रहिए। हब 'सब कछु' सुननेे को बैठे हैं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com