tag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post7397860318227452206..comments2023-07-04T07:36:06.107-07:00Comments on कछु हमरी सुनि लीजै: दम्भ का महाकुम्भडॉ. कमलकांत बुधकरhttp://www.blogger.com/profile/00688929888717058169noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post-28769830043793759832009-11-16T15:15:23.587-08:002009-11-16T15:15:23.587-08:00बहुत सुन्दर. इसे पढ़कर मेरा भी मन कर गया कुम्भ में...बहुत सुन्दर. इसे पढ़कर मेरा भी मन कर गया कुम्भ में आने का और गंगा मैया में डुबकी लगाने का :)Hitesh Parasharhttps://www.blogger.com/profile/14624467965815428727noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post-80947246361081799612009-11-16T15:14:12.607-08:002009-11-16T15:14:12.607-08:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Hitesh Parasharhttps://www.blogger.com/profile/14624467965815428727noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753666226233455371.post-49954044311770195632009-11-13T14:15:59.328-08:002009-11-13T14:15:59.328-08:00ग़ज़ब का दृष्य खींचा है और लपेटा उनको है जो नंगई क...ग़ज़ब का दृष्य खींचा है और लपेटा उनको है जो नंगई के लिए ख्यात या कुख्यात है। प्रश्न ये कौंध रहा है कि ये लपेटना क्या? आपने अपने वस्त्र यानी कंबल में लपेट कर इन्हें धोया, आपके सुदर्शन चक्र की लपेट में इनका कोई वस्त्र आ गया (पर ये तो नंगे हैं!!!) अथवा आप इन्हें अपने लपेटे में ले रहे हैं?(ये तो धन्य हो रहे होंगे कि बाम्हन के लपेटे में आए, किसी और के नहीं)। <br />बढ़िया व्यंग्य है। कुम्भ के हाल इसी तरह देते रहें। पिछली कड़ी का लिंक भी लगाते चलें और साथ ही मज़ाहिया फोटो भी देते चलें। आपके पास तो ख़ज़ाना है। ढूंडने में दिक्कत हो तो गूगल बाबा तो हैं ही। वैसे भी क्या भरोसा कि इनमें से भी कौन सी आपकी मदद से खींची गई हो....<br />सादर <br />अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com