दिल्ली में अपनी राजसभा भरेली थी। राजसभा को अंग्रेजी में बोले तो एल्डर्स हाउस यानी बुज़ुर्गों का घर। तो बुज़ुर्गों का घर खचाखच भरेला था। सफेद बाल और सफेद दाढ़ी-मूंछ वाला शैतान बच्चा लोग भी उधर धमाचौकड़ी मचाने कू जमा था। बड़ा ही सेकुलर किसिम का माहौल था। अध्यक्ष की ऊंची कुर्सी पर डिप्टी स्पीकर जनाब के.ए. रहमान और स्पीकर जनाब हामिद अंसारी, बारी बारी बैठ रयेला था। अयोध्या रिपोर्ट के रूप में सत्रह बरस बाद जनाब जस्टिस लिब्राहान को चिदम्बरम ने जैसे ही सदन के पटल पर अवतरित किया वैसे ही शोर मच गया। अयोध्या के राजा राम ध्वनिमत से आगे कू बढ़ते दीखे तो यह बात अपने समाजवाद को अख़र गई और झट से उठकर सारा समाजवाद भाजपा की ओर लपक लिया। रणबांकुरे कुर्सीछोड़ रण को भागे और एकदूसरे के सामने डट गए।
अपने सुरेन्दर, बोले तो देवताओं के इन्दर यानी राजा। और अपने अमर, बोले तो जो कभी मरेगाच नर्इ, माने खुदीच देवता। क्या नज़ारा है। एक तरफ अमर खड़ेला है और दूसरी तरफ सुरेन्दर खड़ेला है। एक के पीछू समाजवादी अड़ेला है और दूसरे के पीछू भाजपाई अड़ेला है। सारा राज्यसभा खचाखच भरेला है और ये दोनों आपस में ढिशुंग ढिशुंग के मूड में आयेला है।
तभी इन दोनों को अपना कॉलेज का जमाना याद आयेला है। वो जवानी का दिन था, मस्ती की रातें थीं। एक यूपी से गया तो दूसरा बिहार से गया था कोलकाता। दोनों एक साथ कोलकाता यूनिवर्सिटी में पढ़ने कू गया था। पढ़ा या नई, ये तो वोईच जाने पर दोनों का मेहबूबा एकीच था- अपना कांगरेस। पर वो बंगाल था। दोनों दोस्त कुछ दिन एकीच मेहबूबा से पींग बढ़ाया पर बाद कू दोनों का मन भर गया तो बीच रास्ते में उसको छोड़ दिया। इधर का कांग्रेस बाबू मोशाय ले उड़े। अपने सरदार साहब और ठाकुर साहब दोनों का कांग्रेसी इश्क़ परवान ना चढ़ा तो दोनों के रास्ते अलग अलग हो गए। एक को भाजपा रास आई तो दूसरा समाजवादी हो गया। बहुत दिनों से दोनों के बीच में कोई सीधा संवाद नहीं हुआ था। अमर मन करता था कि जोर से पुकारें, 'सुरेन्दर ओय, की करदा फिरदा ए। चल कन्टीन चलिये।' सरदार मन भी कहने को उतावला था कीने को कि, 'अमर यार, चल इक वारी कोलकाता हो आइये। तेरे नाल यूनिवर्सिटी घुम्मन दा बड़ा मन करदा ए।'कॉलेज के दिन किसको याद नहीं आते। पर बुरा हो इस राजनीति का दो दोस्तों को दूर कर दिया। हाय। पर दोस्ती सलामत रहे दोनों की। एक ने 'जय बजरंग बली' कहा तो दूसरे ने 'या अली' कहा। दोनों गुस्से में भिड़े और प्यार से लिपट गए। दोनों की राजनीति भी सच्ची हो गई। दोनों के वोट भी पक्के हो गए और रोटियां भी पक्की हो गईं। देश तमाशबीन था और वे दोनों तमाशगीर। तमाशगीर मज़ा ले गए और तमाशबीन ठगे से देखते रह गए।