सोमवार, 27 अक्टूबर 2008
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हौं जानत तुम बड़े व्यस्त हो
पै तनिक समै हमकूँ भी दीजै
कछु हमरी सुनि लीजै।
घन बरसत बाढत जल नदियन
बुध जन कहत यही है मौको
मुख अकास करि पीजै
कछु हमरी सुनि लीजै।
शठ, मूरख औ' अति रसबंजर
दुनिया माहि बसत हैं कबतैं
तिन को कछु उपदेस न कीजै
कछु हमरी सुनि लीजै।
कबित कला रुन-झुन झांझर की,
मधु मुस्कान ठठाकर हंसिबौ -
अनल निदाघ माँझि रस भीजै
कछु हमरी सुनि लीजै
7 टिप्पणियां:
दीपावली की मँगल कामनाएँ
बढ़िया ।
आपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती
दीपावली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जिजिविषा से लबालब इस आग का स्वागत है।
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ। दीपावली आप और आप के परिवार के लिए सर्वांग समृद्धि और खुशियाँ लाए।
Are kaka aapka blog hain mujhe pta hi nahi tha ,Bahut bahut badhai
bahut bahut badhiyasaiji
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