कोई मानें या न मानें कांग्रेस की अम्मा अब देशभर की अम्मा हो चली है। अपनेराम ने इसीलिये उन्हें नाम दिया है सर्वाम्मा। सर्वाम्मा का ही कमाल है कि दशकों से चर्चाओं में सिमटा महिला आरक्षण बिल अब आकार लेने को है। पहले महामहिम का सिंहासन, फिर सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा की अध्यक्ष की आसन्दी मातृसत्ता को सौंपने के बाद अब सर्वाम्मा के किए से देश में मातृयुग आखिर आ ही पहुंचा है।
पु:षवर्ग सावधान हो जाएं। कांग्रेस की सर्वाम्मा ने तय कर लिया है कि देश में अब सचमुच ‘जय माता की‘ ही होगी। बहुत हो चुकी पिताओं की जय। अब मामला बराबरी का है। अगर माता का जागरण होगा तो पिताओं भी आराम की नींद नहीं सोने दिया जाएगा। भाईलोगों ने माता के जागरण की परम्परा के नाम पर उसे रातों जगाने का षड़यंत्र कर रखा था। माता जागती रहे और पिता तथा बेटे आराम से खर्राटे लेते रहें। अब पिताओं का जागरण शुरू होने के दिन आ गए हैं। बहुत सो लिये बच्चू !
अगले सौ दिन मिले हैं बेटों और पिताओं को सुधरने के लिए। प्रतिभाताई ने अपनी सरकार के इरादे जाहिर करते हुए पुरुषों को 100 दिन अल्टीमेटमदे दिया है। 33 से 50 प्रतिशत तक स्थान चुपचाप खाली कर दो वरना तुम्हारी बहू-बेटियों को तुम्हारी खबर लेने के लिए जगा दिया जाएगा।
अब भाई-भतीजावाद का दौर खत्म होने को है, बहू-बेटीवाद के बारे में सोचना होगा। यह नया मुहावरा भारतीस जीवन में प्रवेश लेने को है। देश माताओं और बहू-बेटियों को अधिकार देना चाहता है। जो काम अब तक छह दशकों में पिता, दामाद औा बेटे-भतीजे न कर सके वह अब वीरांगनाएं करेंगी। हमारा नारी वर्ग यूं भी सदा से आगे रहा है। देवता लोग इन्हीं नारियों के कारण देशभर में चहलकदमी करते रहे हैं, रमण करते रहे हैं- यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता। अब जब नारी की लोकतांत्रिक पूजा का अनुष्ठान पूरा होगा तो ये देवतागण केवल रमण ही नहीं करेंगे बल्कि इन नारियों के पीछे पीछे छत्र-चंवर लेकर भी चलते नजर आएंगे।
सर्वाम्मा से अपनेराम की भी कुछ गुजारिशें हैं। एक तो यह कि संसद में महिलाओं को आरक्षण देने के बाद उनके पतियों-जेठों और बेटों की भी ट्रेनिंग का भी इन्तजाम कर दीजिएगा। वरना ये भाईलोग बहू बेटियों के नाम से संसद में वोट डालने के लिए वैसे ही धक्कामुक्की करेंगे जैसे ग्राम और नगर पंचायतों में करते हैं। और सर्वाम्मा, अगर ऐसा कहीं कुछ कर दो कि संसद में प्रवेश की कोई क्वालीफिकेशन तय करवा दो तो फिर कहना ही क्या! एक और बात। अगर ज्यादा उम्र में चुनाव लड़ने पर पाबन्दी तथा एक साथ दो सगे संबंधियों को सांसद बनाने पर रोक लग जाए तो......!
अरे अरे अपनेराम ये सब क्या लिखने लगे। इससे तो भारतीय लोकतंत्र नेस्तनाबूद हो जाएगा। सारा लोकतांत्रिक उत्सव फीका पड़ जाएगा। रिश्तेदार गलबहियां डाले संसद में कैसे डोल पाएंगे। फारुख भाई दामाद और बेटे के कंधों पर हाथ रखे अशोक हाल में कैसे तस्वीरें उतरवा कर लोगों का दिल जला पाएंगे। उन्हें अगली बार तो पूरा फैमिली पोज लेना है। सर्वाम्मा, आप तो जो जैसा चलता है चलने दो। बस थोड़ा हल्ला-गुल्ला चलता रहे। काफी है। देश माता की जय बोलकर खुश है। आप महिलाओं को प्रसन्न करती चलो, देश को जयकारा लगाने दो--‘जय माता दी‘!
शुक्रवार, 5 जून 2009
जय माता दी !
लेखक डॉ. कमलकांत बुधकर पर 1:14 am
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7 टिप्पणियां:
नारी शक्ति की जय हो. जय माता की
ये निर्णय तो बढ़िया है सरकार का ( सर्वम्मा का ) लेकिन कुछ ऐसे भी निर्णय है जो की हमे सोचने पेर मजबूर कर रहे है...
ज़रा यहा भी आ कर के देख लीजिए...
http://rashtravad.blogspot.com/2009/06/blog-post.html
जय माता दी।
जय माता दी, जय बहन दी, जय भाभी जी।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
अब भाई-भतीजावाद का दौर खत्म होने को है, बहू-बेटीवाद के बारे में सोचना होगा।
यह बात कुछ जम रही है..
कुछ भी कहो ये वक़्त की मांग भी है...
Pranam Sir, bat to aapne hulke-fulke andaaj mein ati gambhir kah di hai..pariwarwad ka poz to isbar parliament mein utr se dakshin or poorv se pashchim tak nazar aa rha hai. apne sahi kaha ki ab jai mata di hane wali hai.. lekin sawal vahi hai ki kya ek tihai matayein-bahane bhi inhi parivaron se ayeingi ya fir kuchh kalawatiyon ke liye bhi sansad ke darvaje khul sakenge...
ye benami apka shishya pawan hai.. dilli se
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