झूठ का सामना करते करते उकता गया था सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र का यह देश। झूठ, झूठ और सिर्फ झूठ। देश को सिर्फ झूठ ने घेर रखा था। लोग सच बोलने से डरते थे। बोलते भी थे तो मुलम्मेदार सच बोलते थे। गोलमेाल भाषा में गोलमोल प्रश्न होते थे और उसके गोलमोल ही जवाब सामने आ जाते थे। लेकिन मुलम्मा उतरते ही झूठ सामने आ जाता था। आदमी बड़ा हिम्मती था। झूठा होने के मामले में वह एकदम सोलह आने सच्चा था। वह घर में झूठा था तो बाहर भी झूठा ही था। वह सड़क से संसद तक झूठा था। वह अपने मां-बाप से तो झूठ बोलता ही था, अपने बच्चों से भी झूठी भाषा में ही बात करता था। वह सार्वकालिक, सार्वजनीन और सर्वत्र झूठा ही था।
पर भला हो स्टार प्लस टीवी वालों का कि उन्होंने देश को सच बोलना सिखाया दिया है। जो काम बड़े बड़े ऋषि-मुनि, ज्ञानी-संत, धर्मग्रंथ और पीर-पैगम्बरों के प्रवचन न कर सके वह काम इस घोर कलिकाल में अपने स्टार प्लस टीवी ने कर दिखाया है। उसने देशवासियों को सच बोलना सिखा दिया है। और सत्यवादियों के सत्यवचनों को देशदुनिया के सामने लाकर दिखा भी दिया है। अब ये और बात है कि वह सत्य नंगई की सीमा में उतरा हुआ सत्य है जिसे देख सुनकर ऩज़रें पता नहीं क्यूं झुक झुक जाती हैं।
हम आभारी हैं स्टार प्लस के कि वह देश में सतयुग लौटा लाया है। अब लोग सच बोलने लगे हैं। हमसच बोलने के लिए किसी कन्फेशन बॉक्स की ज़रूरत नहीं है। अब स्टार प्लस ही हमारा नया पादरी, नया धर्माचार्य है जो हमारे इस सच को सार्वजनिक करता है जिसे हम अभी तक पारिवारिक भी नहीं कर पाए थे। बड़ी बात है। वर्तमान जीवन की कितनी बड़ी उपलब्धि है। सच बोलो और लखपति हो जाओ। वे लोग कितने झूठे हैं जो कहते हैं कि आज की दुनिया में कमाई करनी है तो बिना झूठ का सहारा लिये संभव नहीं है। इस घोर कलिकाल में यूं भी भगवान सत्य ही लक्ष्मी दिलवाते हैं, यह भी सिद्ध हो गया है।
लोग कहते आए हैं कि सत्य सोने के पात्र में बन्द रहता है और पात्र कर मुंह ढका रहता है़....''हिरण्मयेन पात्रेन सत्यस्यापि हितं मुखं''। अगर कोई उस पात्र का मुंह खोल दे तो सत्य की चौंध से उसके अंधा होने की भी संभावना हो जाती है। अपनेराम का कहना है कि ये परम्परावादी लोग स्टार प्लस देखें और फिर अपनी राय कायम करें। भाई ज़माना बहुत दूर निकल आया है । अब तो सच बोलो, वह भी नंगा सच और स्वर्णपात्र लेकर घर लौटो।
स्टार प्लस ने अपनी न्याय व्यवस्था को भी नई राह दिखाई है। वह राह है स्वर्णपात्र बांटने की राह, देवी लक्ष्मी की राह। इस राह पर चलकर सत्य की आराधना कितनी आसान हो जाएगी। न्यायमूर्ति सच बोलने का पैसा देंगे तो अपराधी वह पैसा परिवार को सौंपकर निश्चिंत होकर जेल चला जाएगा। वह भी सरकारी पैसे पर जीयेगा, उसका परिवार भी सरकारी पैसे पर जीयेगा और न्यायालय में बरसों तक मुकदमें सुनने चलने का दौर भी तब समाप्त हो जाएगा। अब समाज है तो अपराध तो होंगे पर अपराधी उन्हें स्वर्णपात्र के बदले झटपट स्वीकार कर लेंगे। स्वर्णपात्र बालबच्चों को सौंपकर अपने नग्न चरित्र को जेल के पीछे ले जाएंगे। वहां कुछ दिन भले बनकर सज़ा कम करवाकर फिर बालबच्चों में लौट आएंगे। यानी नंगे होकर जेल जाएंगे और सज़ा का तौलिया लपेटकर लौट आएंगेद्य उनके बालबच्चे भूलें या न भूलें पर हमारा समाज तो उनकी नंगई कुछ दिनों में भूल ही जाएगा। तब वे अपना अगला नग्न सत्य लेकर टीवी पर आमंत्रित किए जाएंगे। जेलों और जेल में तौलियों की कमी नहीं है।
3 टिप्पणियां:
और अगर इन तौलियों को सच बोलने वालों से छीनकर झूठ बोलने वालों ने अपने गले में लपेट, फंदा डाल खुदखुशी से खुदकुशी कर ली तो ... स्टार प्लस क्या अपना नाम स्टार माइनस कर देगा
सच कहा आपने भी
sahi kaha aapne, sacchi bolne aur dikhna to theek hai. par yahan to sach ke naam pe maximum sex se judi baton ka tadka lagana kahan tak theek hai. kal tak kewal vaishya paison ke liye sharir bechti thi, aaj aap ghar se gharelu stri ko paison ka lalach de ke bazar mein nanga kar rahe hain.
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