गुरुवार, 22 जनवरी 2009

कल्‍याण के सिद्धान्‍त

ज्‍योतिषाचार्य पं.कल्‍याणसिंह ने भविष्‍यवाणी की है कि आने वाले आम चुनावों में भाजपा को अधिकतम छह और न्‍यूनतम चार सीटों   पर ही संतोष करना पड़ेगा।उन्‍होने विश्‍वासपूर्वक यह भी कह दिया है कि पीएम इन वेटिंग आडवाणी वेटिंग ही करते रह जाएंगे और पीएम कोई और ही बन जाएगा।

यह सब सुनकर अपनेराम को तरस आ रहा है भाजपा पर कि इतने प्रतिभाधनी ज्‍योतिषी नेता को उसने केवल एक सीट के चक्‍कर में गंवा दिया। ये भाजपावाले उनके कहने पर एक बुलन्‍दशहर सीट दे ही देते तो भाजपा का सितारा बुलन्‍द हो जाता। वे भाजपा में बने रहते तो ऐसी भविष्‍यवाणियां मनमोहन और मुलायम को लेकर करते। और कुछ नहीं तो कमसेकम कुछ महीने भाजपा का माहौल खुशगवार बना रहता। राष्‍ट्रीय क्रांति का यह जनक भाजपा में बना रहता तो कुछ दिन और राष्‍ट्रीय भ्रांति बनी रहती कि आडवाणी ही अगले पीएम होंगे। पर अब आडवाणीजी को शेखावती झटके और मोदीय लटके ही नहीं बल्कि कल्‍याणी फटके भी झेलने को मजबूर होना पड़ रहा है। वे प्रतिभापति तो हैं ही इसीलिये जाहिर है कि प्रतिभा के धनी भी हैं। पर कल्‍याणवाणी के अनुसार तो उनकी सारी प्रतिभा के बावजूद उनके भाग्‍य में पीएम इन वेटिंग होना ही लिखा है, पीएम होना नहीं।

बार बार साबित होता है कि राजनीति वेश्‍या है और वह किसी भी कोठे पर बैठ सकती है या किसी को भी  अपने कोठे पर बुला सकती है। अब देखिये न, कभी के कटखने आज एकदूसरे की पप्‍पी लेने पर उतारू हैं और वह भी सरेआम।  कह रहे हैं कि दोस्‍ती हो गई है। मस्जिद गिराने का श्रेय लेनेवाले उतावले अब मुल्ला मुलायम की गोद में हैं। मुलायम का कल्‍याण करनेवाले कल्‍याण ने राष्‍ट्र को धृतराष्‍ट्री परम्‍परा याद दिला दी है कि किस तरह पुत्रमोह में सारे सिद्धांतों की बलि चढाई जाती है। एक ने अपना बच्‍चा दूसरे की गोद में दे दिया है। मुलायम बहुत मुलायम दीख रहे हैं। उन्‍होने राजबीर नामक बच्‍चे को गोद में लेकर पुचकारना शुरू कर दिया हैा अपनेराम को  यकीन है कि मुलायम की गोद में यह बच्‍चा तब तक खेलता रहेगा जब तक उनकी धोती गीली न कर दे।

कल्‍याणसिंह को अपने स्‍टेटस का बड़ा ध्‍यान रहता है। यही वजह है कि उन्‍होंने अपने स्‍टेटस वाले से दोस्‍ती की  है। लोग समझ लें कि यह दो विपरीत मगर सिद्धांतवादियों की दोस्‍ती है। दोस्‍ती का आधार तीन और छह के ही अंक हैं। अब तक के छत्‍तीस अब त्रेसठ होकर दोस्‍त बन गए हैं। यह एक ही प्रदेश के दो पूर्व मुख्‍यमंत्रियों की  दोस्‍ती है यानी सेम स्‍टेटस। यह दो पूर्व अध्‍यापको की दोस्‍ती है और यह दोस्‍ती है दो धोतीवालों की। यानी अगेन सेम स्‍टेटस। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह दो होनहार पुत्रों के स्‍नेहबद्ध पिताओं की दोस्‍ती हैा इस दोस्‍ती की जयजयकार होनी ही चाहिये। धिक्‍कार है इस दोस्‍ती को धिक्‍कारने वालों पर।

कल्‍याणसिंह बड़े आत्‍मगौरवी और स्‍वाभिमानी किस्‍म के राजनेता हैं। पर उनका स्‍वाभिमान हमेशा जाग्रत रहता हो ऐसा नहीं है। वह मौका देखकर जागता है और मौका मिलते ही सो जाता है। पिछले डेढ़ दशक में वह दो बार जागा और फिर सो गया। पिछले डेढ़ साल से उनका आत्‍मगौरव बिस्‍तर पर अंगड़ाइयां ले रहा था पर शायद भाजपा की थपकियां उसे सुला देती थीं और वह फिर सपने दिखानेवाली नींद के आगोश में दुबक जाता था। पर इस बार कल्‍याण के स्‍वाभिमान के सपनों में उमा भारती आ गई, बाबूलाल मराण्‍डी आ गए, मदनलाल खुराना आ गए और तो और शेखावत और मोदी तक आकर हंसने लगे तो क्‍ल्‍याणजी का स्‍वाभिमान अचकचाकर जाग बैठा। और अब जब वह जाग ही गया है तो मचलेगा ही।

कल्‍याणवाणी से स्‍ष्‍ट है कि वे न तो अब किसी पार्टी में जाएंगे और न नई पार्टी बनाएंगे पर अपने पुत्रमोह के सिद्धांत का बखूबी प्रतिपालन करने के लिये वे मुलायम की समाजवादी पार्टी का समर्थन जोरशोर से करेंगे। आखिर वे सिद्धांतवादी हैं और सिद्धांत‍प्रिय हैं। सिद्धांत उनकी जान है, उनका जहान हैं। वे सिद्धांतों के लिये ही जीते रहे हैं और सिद्धांतों के लिये ही मर मिटे हैं। आगे भी मरते मिटते रहेंगे पर सिद्धांत नहीं छोड़ेंगे। यमाप्‍त।

5 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

ये दो घाघों की दोस्ती है-याने के सेम मेन्टल एटिट्यूड.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

अभी दिल्ली दूर है।

Shiv ने कहा…

नेता को अधिकार है कि वह मौका देखकर असंतुष्ट हो जाए. वैसे भी नेता कभी-कभी ही असंतुष्ट होता है. ऐसे करना उसके लिए कल्याणकारी होता है.

अनूप शुक्ल ने कहा…

यह एक ही प्रदेश के दो पूर्व मुख्‍यमंत्रियों की दोस्‍ती है यानी सेम स्‍टेटस। यह दो पूर्व अध्‍यापको की दोस्‍ती है और यह दोस्‍ती है दो धोतीवालों की। यानी अगेन सेम स्‍टेटस। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह दो होनहार पुत्रों के स्‍नेहबद्ध पिताओं की दोस्‍ती हैा इस दोस्‍ती की जयजयकार होनी ही चाहिये। धिक्‍कार है इस दोस्‍ती को धिक्‍कारने वालों पर। यह पढ़कर मजा आ गया। शानदार!

विष्णु बैरागी ने कहा…

कमल भैया! तुस्‍सी ग्रेट हो। छा गए। लिखा तो आपने लेकिन दिल गार्डन-गार्डन हो गया मेरा। बलिहारी।
यह आपका नया स्‍वरूप है। इसी में बने रहिए। पूरा मैदान खाली है।