बुधवार, 26 दिसंबर 2007

बिग बी का पण्‍डा

घाट हरद्वारी
अपनेराम यूं तो खांटी हरद्वारी हैं पर अक्‍सर सफ़र में रहते हैं। कई दिनों बाद आज हरिद्वार लौटे तो पाया कि यहां के पण्‍डों में घमासान है। एक पण्‍डा जी ने तो बाकायदा प्रेस बुलाकर पत्रकारों को रसगुल्‍ले खिलाते हुए वह बहीखाता दिखाया जिसमें अपने पिता की अस्थियां गंगाप्रवाह करने के बाद अमिताभ ने हस्‍ताक्षर किए थे। वे राजा विश्‍वनाथ प्रताप सिंह के पण्‍डा तो थे ही अब सुपर स्‍टार के पण्‍डा भी बन गए थे। ये और बात है कि वे बच्‍चन जी या उनके पुरखों के हस्‍ताक्षरों का कोई प्रमाण नहीं दिखा सके। इसीलिए इस बीच कई पण्‍डे तेजी जी की अस्थियां तिराने के दावेदार हो गए।
इसीलिये हरिद्वार के पण्‍डों के बीच परस्‍पर संधर्ष का एक‍ मुद्दा इन दिनों यह है कि कौनसा पण्‍डा अब स्‍वर्गीया तेजी बच्‍चन की अस्थियों को विधिवत गंगा में प्रवाहित कराएगा? इस ‘कीर्ति’ और इस ‘यश’ के साथ साथ बच्‍चन परिवार से मिलनेवाली दान-दक्षिणा का भागी कौन बनेगा? हालांकि अपनेराम पण्‍डों के ही दामाद हैं पर पण्‍डा नहीं, लेकिन इस बात पर चकित हैं कि क्‍या यह बात किसी लड़ाई या संघर्ष का सबब बन सकती है? हां सच यही है। यकीन मानिये यही मुद्दा है झगड़े का। मामला पण्‍डों की बड़ी पंचायत ही नहीं जि़लाधिकारी के दरबार तक पहुंच गया है। जि़लाधिकारी ने तो पण्‍डों का आपसी मामला कहकर पल्‍ला झाड़ लिया है पर पण्‍डा-सभा में सिरफुटौव्‍वल की नौबत है।
जब बच्‍चन जी की अस्थियां 27 जनवरी 2003 को हरिद्वार लेकर अमिताभ हरिद्वार आए तो प्रतापगढ के एक पण्‍डा ने आगे बढ़कर यह जिम्‍मेदारी निभाई। अमिताभ बच्‍चन के साथ अस्थिप्रवाह कराते उनकी तस्‍वीरें छपीं तो पण्‍डाजी ने माना कि उनकी कीर्ति में सलमें-सितारे जड़े गए हैं। पर अब कुछ और पण्‍डे उनकी टोपी में जड़े ये सलमें-सितारे नौंचने पर उतारू हैं। अस्थियों के बहाने एक को जो कीर्ति मिली थी उसने बाकी पण्‍डाओं के मन में यशैषणा जगाई है और इस बार जब बॉलीवुड के शहंशाह के अपनी स्‍वर्गीया माता तेजी जी की अस्थियां लेकर हरिद्वार आने की सूचना है तो पण्‍डाओं में ‘शहंशाह और सुपरस्‍टार के पण्‍डा’ बनने की होड़ लग गई है। चार चार दावेदार मैदान में हैं और मीडिया की पौ-बारह है। उनके लिये तो बिग बी की मां की अस्थियां केवल 'स्‍टोरी' हैं।
एक एक करके कई नाम पत्रकारों के सामने लाए गए हैं कि बिग बी के पण्‍डा वही हैं। एक का दावा है कि उसके पास अमिताभ बच्‍चन के हस्‍ताक्षरों वाली पोथी है। दूसरे का कहना है कि पहला धोखेबाज है। पिछली बार जबरदस्‍ती में अमिताभ के हस्‍ताक्षर ले उड़ा था। असली पण्‍डा तो वह है जो उस गांव का परम्‍परागत पण्‍डा है जहां हरिवंशराय बच्‍चन पैदा हुए थे। हालांकि पोथीपत्रे के प्रमाणों ये वह वंचित है। पर उस पर पण्‍डों की सभा के मुखिया का हाथ है। मुखिया पहले वाले का साथ दे देता पर उसका दर्द यह है कि डॉ. बच्‍चन की अस्थियों के प्रवाह की बेला में पोथीवाले पण्‍डा ने उसकी जगह उसके विरोधी को तरजीह देकर उसकी फोटो बिग बी के साथ खिंचवा दी। इस बार मुखिया जी ने ऐसे पण्‍डे को ही किनारे लगाने की ठान ली है। वे दूसरे दावेदारों के साथ हैं। नतीजा यह है कि पण्‍डों की बिरादरी में ‘बिग बी’ नाम का भूचाल आया हुआ है। सारी बिरादरी खेमों में बंट गई है। लड़ाई के बहाने ढूंढनेवाले खुश हैं कि कई दिनों बाद मुखिया को पटकनी देने का मौका आया। मुखिया का गुट भी इसीलिये खुश है। बिग बी भले ही राजनीति छोड़ चुके हों पर उनके कारण तो राजनीति की ही जा सकती है। भले कांग्रेस करे, सपा करे या हरिद्वारी पण्‍डे करें।

जहां तक मीडिया का सवाल है, उसके तो दो उदाहरण देखकर अपनेराम चकित हैं। पहला तो तेजी जी के निधन के दिन ही मिला। 21 दिसम्‍बर को करीब तीन बजे टीवी खोला तो समाचार था कि एक बजकर पन्‍द्रह मिनिट पर तेजी जी ने लीलावती अस्‍पताल में देह छोड़ी। समाचार के साथ चल रही वीडियो फुटेज शोकसंतप्‍त अमिताभ को अस्‍पताल से आते हुए दिखा रही थी। समाचार पूरा हुआ। ब्रेक की घोषणा के साथ ही विज्ञापनों की शुरुआत हुई। शोकसंतप्‍त अमिताभ जी का चेहरा अभी आंखों के सामने ही था कि अचानक कैडबरीज बेचते हुए साफाधारी अमिताभ प्रसन्‍नमुद्रा में दिखे और आवाज सुनाई दी.....'कुछ मीठा हो जाए...।'' यह विज्ञापन अभी तक माथे पर हथौड़ा बजा ही रहा था कि आइडिया के अगले विज्ञापन में अभिषेक बच्‍चन साफा बांधे मोबाइलसेवा बेचते नज़र आ गए। अपनेराम सोच रहे थे कि क्‍या ये विज्ञापन उस दिन उस वक्‍त रोके नहीं जा सकते थे? शायद नहीं, क्‍यूंकि भावनाओं से ज्‍यादा महत्‍व आज व्‍यापार का है।
आज यानी 26 दिसम्‍बर को अपनेराम जीटीवी के संवाददाता के साथ शाम 7.30 से 8 बजे तक का बुलेटिन देख रहे थे। गश खाकर गिरते गिरते बचे। संवाददाता से जीटीवी कार्यालय से लगातार पूछ रहा था कि हरिद्वार की गंगा में तेजी बच्‍चन की अस्थिविसर्जन के कार्यक्रम की डीटेल्‍स पता करके जल्‍दी बताओ। उधर जीटीवी की स्‍क्रीन पर अभिषेक बच्‍चन की ऐश्‍वर्या राय से 'मुहब्‍बत से शादी तक' का सफ़र दिखाया जा रहा था। एक प्रतिष्ठित भारतीय टीवी चैनल एक प्रतिष्ठित भारतीय परिवार में हुई दादी की मौत के तेरह दिनों में ही उसके पोते की बारात के दृश्‍य दिखा रहा था। इस अत्‍यंत असामयिक स्‍टोरी के प्रसारण में जो शीर्षक प्रसारित किए जा रहे थे वह आपने देखे सुने न हों तो अपनेराम से सुनिये और लजाइये.... 'बॉलीवुड की सबसे बड़ी शादी'; 'गुरू के प्रमियर पर हुआ इश्‍क का इज़हार'; 'ऐश्‍वर्या-अभिषेक का इश्‍क'; उमराव जान से प्‍यार परवान चढ़ा'; 'बॉलीवुड का यादगार लमहा';'मुहब्‍बत से शादी तक का सफ़र' और 'बच्‍चन की बारात'
अपनेराम पत्रकार भी हैं सो लजा रहे हैं पर साथी मीडियावालों के पास तो इस बेहूदगी के लिये भी कुछ न कुछ तर्क होंगे ही।

4 टिप्‍पणियां:

अजित वडनेरकर ने कहा…

पंडों की माया के साथ चैनलों की माया का अच्छा कोलाज बनाया है। दिलचस्प पोस्ट।

ALOK PURANIK ने कहा…

शर्मनाक है जी।

Sanjeet Tripathi ने कहा…

ठीक यही भाव मन में आ रहे थे तेजी जी के देहावसान वाले दिन खबरें देखते हुए!
सही पकड़ा आपने!!

sandarbh ने कहा…

ur take on big b and pandas has mirrored my real self.these guys have made a mockery of the whole system.good work.keep going.