हरिद्वार की सडक पर यह दृश्य देखा तो अपने मोबाइल-कैमरे पर उतार लिया। आज ही आदरणीया वशिनी शर्मा जी के सहयोग से आगरा निवासी कम्प्यूटर विशेषज्ञ श्री सुधीर कुमार जी ने बताया कि चित्र को कैसे ब्लॉग पर भेजा जा सकता है तो पहले स्वर्गीय कत्रलोचन जी का चित्र भेजा और अब यह । दोनें चित्र मेरे ही द्वारा उतारे हैं। कैसे लगे लिखियेगा। अगर चित्र भेजना सफल रहा तो अपने चित्रों का खजाना भी खोलूंगा आपके लिये।
सादर :- कमलकांत बुधकर
बुधवार, 12 दिसंबर 2007
''एक मॉं तीन बछडे''
लेखक डॉ. कमलकांत बुधकर पर 9:25 am
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5 टिप्पणियां:
अच्छे हैं। खोलिये खजाना चित्रों का।
अच्छा चित्र है। तीन हैं; चौथे के लिये भी जगह है।
आपके चित्र अति सुंदर ,सहज और मनमोहक हैं .
प्रयास ज़ारी रखें
वशिनी शर्मा
चित्र अच्छा है।
खजाना खोल ही डालिए चित्रों का।
बढ़िया चित्र है। पर उससे भी बढ़िया है ज्ञानदा की टिप्पणी। आपको भी मज़ा आया होगा :)
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